ना जाने कैसे ये जख़्म नासूर हो गया, मैं तुम्हे छोड | हिंदी Shayari

"ना जाने कैसे ये जख़्म नासूर हो गया, मैं तुम्हे छोडने पर मजबुर हो गया, और ये कौन सी गलतफहमी पाल ली तुमने मैं तुमसे बेवजह दूर हो गया। ©Shayari Lover"

 ना जाने कैसे ये जख़्म नासूर हो गया,
मैं तुम्हे छोडने पर मजबुर हो गया,
और ये कौन सी गलतफहमी पाल ली तुमने
मैं तुमसे बेवजह दूर हो गया।

©Shayari Lover

ना जाने कैसे ये जख़्म नासूर हो गया, मैं तुम्हे छोडने पर मजबुर हो गया, और ये कौन सी गलतफहमी पाल ली तुमने मैं तुमसे बेवजह दूर हो गया। ©Shayari Lover

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