यूँ ही नहीं कोई वे वक्त चला जाता है उनके पीछे होत | हिंदी Sad

"यूँ ही नहीं कोई वे वक्त चला जाता है उनके पीछे होती है साजिशें‌- रिशवत , अपनों और बिचौलियों की । कैसे कह दूँ पुरूषवादी‌ समाज है , जहाँ पुरूष भी सहम गए हैं जब से कहानी सूने है अतुल की। क्या फायदा बडे संविधान की जब न्याय की गुहार में 35 साल का मासूम बोले - बहा देना अस्थियों को नाली में । आखिर क्यों नहीं है झूठ की सजा जिनके हाथ कानून, ‌ पैसा है वो खुद झूठे हैं क्या???? ©Annu Sinha"

 यूँ ही नहीं कोई वे वक्त चला जाता है 
उनके पीछे होती है साजिशें‌- 
रिशवत  , अपनों  और बिचौलियों की  । 

कैसे कह दूँ पुरूषवादी‌ समाज है  , 
जहाँ पुरूष भी सहम गए हैं  
जब से कहानी  सूने है अतुल की। 

क्या फायदा बडे संविधान की 
जब न्याय की गुहार में 35 साल का मासूम बोले - 
बहा देना अस्थियों को नाली में  । 

आखिर क्यों नहीं है झूठ की सजा 
जिनके हाथ कानून, ‌ पैसा है  
वो खुद झूठे हैं क्या????

©Annu Sinha

यूँ ही नहीं कोई वे वक्त चला जाता है उनके पीछे होती है साजिशें‌- रिशवत , अपनों और बिचौलियों की । कैसे कह दूँ पुरूषवादी‌ समाज है , जहाँ पुरूष भी सहम गए हैं जब से कहानी सूने है अतुल की। क्या फायदा बडे संविधान की जब न्याय की गुहार में 35 साल का मासूम बोले - बहा देना अस्थियों को नाली में । आखिर क्यों नहीं है झूठ की सजा जिनके हाथ कानून, ‌ पैसा है वो खुद झूठे हैं क्या???? ©Annu Sinha

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