तकदीर
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तकदीर बदलती है रास्तों को देखकर ।
रास्ते तय हो जाते हैं तकदीर को देखकर ॥
मंजिल का पता नही फिर भी चलना पड़ता हैं।
कदम कांटो पर भी चलते है तकदीर को देखकर
कभी हंसते है कभी रोते है ' कभी गिरते हैं कभी संभलते है ।
जिन्दगी के हर गम हर सितम सह जाते है तकदीर को देखकर ॥
हमारे हाथों कुछ नही होता बस होता वही है जो तकदीर कहती है ।
हाथों की लकीरें भी खामौश हो जाती है तकदीर को देखकर ॥
©Shakuntala Sharma
#boatclub तकदीर बदलती रहती है।