White आदमी है आदमी है, बस नाम का, भीतर से खाली, द | हिंदी Life

"White आदमी है आदमी है, बस नाम का, भीतर से खाली, दिखावे का। मिट्टी से बना, माटी का तन, फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन। हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर, पर भूल गया दिल के सागर। दुनिया सजाई, सपने बुने, पर रिश्तों के पुल, कहीं छूटे। आदमी है, पर इंसान कहां? जुड़ा है धरती से, पर आसमान कहां? स्वार्थ की जंजीर, उसे जकड़े, परम सत्य की राह, कैसे पकड़े? फिर भी उम्मीद है, दीप जलेगा, भीतर का इंसान कभी तो जागेगा। प्रेम, करुणा, और सत्य का दीप, आदमी को इंसान बनाएगा। ©Avinash Jha"

 White आदमी है

आदमी है, बस नाम का,
भीतर से खाली, दिखावे का।
मिट्टी से बना, माटी का तन,
फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन।

हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर,
पर भूल गया दिल के सागर।
दुनिया सजाई, सपने बुने,
पर रिश्तों के पुल, कहीं छूटे।

आदमी है, पर इंसान कहां?
जुड़ा है धरती से, पर आसमान कहां?
स्वार्थ की जंजीर, उसे जकड़े,
परम सत्य की राह, कैसे पकड़े?

फिर भी उम्मीद है, दीप जलेगा,
भीतर का इंसान कभी तो जागेगा।
प्रेम, करुणा, और सत्य का दीप,
आदमी को इंसान बनाएगा।

©Avinash Jha

White आदमी है आदमी है, बस नाम का, भीतर से खाली, दिखावे का। मिट्टी से बना, माटी का तन, फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन। हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर, पर भूल गया दिल के सागर। दुनिया सजाई, सपने बुने, पर रिश्तों के पुल, कहीं छूटे। आदमी है, पर इंसान कहां? जुड़ा है धरती से, पर आसमान कहां? स्वार्थ की जंजीर, उसे जकड़े, परम सत्य की राह, कैसे पकड़े? फिर भी उम्मीद है, दीप जलेगा, भीतर का इंसान कभी तो जागेगा। प्रेम, करुणा, और सत्य का दीप, आदमी को इंसान बनाएगा। ©Avinash Jha

#आदमी

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