White दस्तूर-ए- जिंदगी
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वक्त की दस्तूर का तो कारवां ही बन गया,
कलम की एक स्याही से तो पूरा इतिहास ही बदल गया।
लगता है,मौसमों का परिवर्तन है शायद ,
वरना कहां इन हवाओं के रूखेपन का कारवां बनता।
तथा स्वर्णिम से इस जगत में माया की परंपराओं के सापेक्षता का प्रतिबिम्ब उमड़ता।
शायद दस्तूर दस्तावेजों पर उमड़ती रोशनी का है,
जो जीवन के परिप्रेक्ष्यों का परिवेश देकर मुसाफिरों को कर्तव्य में संलग्न रहने की ओर आकर्षित करता रहता है।
©Unnati Upadhyay
#दस्तूर_ए_जिंदगी
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