White पल्लव की डायरी
पहुँच गये उचाईयो पर
मगर झाड़ से खड़े है
ना बची संवेदनाये
ना सोच मानवता की है
छीन लिये सबसे जीने के अधिकार
पैसो के पहाड़ जोड़े खड़े है
ना मिलती छाव किसी को उनसे
छोटे रोजग़ार भी गरीबी के छीने खड़े है
पेशेवरों के गुण धर्म ना दिखते कुछ भी
तंत्र की हिमाकत पर
पूंजी जोड़े खड़े है
ना खुशबू आती रहीशी की
दूसरो की खून पसीने की कमाई से बने
एम्पायर पर हक जमाये खड़े है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#moon_day दूसरो की खून पसीने की कमाई पर एम्पायर खड़े कर है
#nojotohindi