White बस बच गई है मुख़्तसर आहिस्ता आहिस्ता
ये सांस जानी है ठहर आहिस्ता आहिस्ता
साए में उसकी याद के एक नीेंद सोए थे
नम हो गई इक दोपहर आहिस्ता आहिस्ता
बस और अब तुझसे हमें रखनी नहीं निसबत
देखेंगे ना तू है जिधर आहिस्ता आहिस्ता
इक खौफ में तन्हा ही हम राहे सफर में थे
काटा गया ना ये सफर आहिस्ता आहिस्ता
क्यों आईने से देख मुझको मुस्कुराया था
किस हमशक्ल का था गुज़र आहिस्ता आहिस्ता
राहे यगाना का सफर हमने चुना था सो
तन्हा चला हूं उम्र भर आहिस्ता आहिस्ता
मुमकिन नहीं पर सोचता हूं ज़िन्दगी क्या हो
मिट जाए सब यादें अगर आहिस्ता आहिस्ता
मैं ये नहीं कहता के हिम्मत तोड़ बैठा हूं
ए ज़िन्दगी तू आ मगर आहिस्ता आहिस्ता
बर्बाद भी होना हसीं मंज़र हुआ जैसे
हो अर्श से उतरी शरर आहिस्ता आहिस्ता
घुट घुट के रोए सोचकर सुनले न कोई शख़्स
चिख़ा तो हमने ख़ूब पर आहिस्ता आहिस्ता
पढ़ता रहा हूं मुद्दतों से आख़री सफ़हा
थकती रही है ये नज़र आहिस्ता आहिस्ता
शब ढलते ही कागज़ क़लम को हाथ में लेके
लिखते रहे कुछ ता सहर आहिस्ता आहिस्ता
मुद्दत हुई है बात को पर याद आता है
क़िस्सा मिरा वो चश्मे तर आहिस्ता आहिस्ता
सीने में ज़ख्मों को छुपाकर मुस्कुराता हूं
अब अारहा ये भी हुनर आहिस्ता आहिस्ता
है आज पस्ती में मगर कल देखना होगा
इस ज़ेर का रुतबा ज़बर, आहिस्ता आहिस्ता
©Sam
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