हमारी ज़ात की अज़ाब जैसी बद्दुआ का खौफ खाए
ये जरूरी है पतंगे को कि शमा का खौफ खाए
ये न हो वो इश्क़ पर तंज कसे, तोहमत लगाए
ये हो कि ज़हर न उगले खुदा का खौफ खाए
अपनी हुक्मरानी बंद करे, शमशीरें छोड़ दे
इबादतगाहों से मिलने वाली शिफ़ा का खौफ खाए
उसे कहो कि निजात बक्शे ख़ुद पे मरने वालों को
"जग्गी" उसे कहो वो मुहब्बत नाम की वबा का खौफ खाए
©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!
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