रिस्तो के बाजार में बिकती है खुशिया
खरीददार गम के भी मिल जाएंगे
बदले में चांद सिक्को के
बदलती है किस्मत भी
ताकत बस सिक्को में होनी चाहिए
ये खुशिया ये गम क्या है
बस चांद सिक्को की मोहताज है
वसूल और इरादे कच्चे है
खनक सिक्को मे जोरदार चाहिए
इज्जत या बगावत क्या है
सिक्को की खनक है
दोस्ती या दुश्मनी क्या है
सिक्को में वजन चाहिए बदलने की
ये दौलत ये सोहरत बस रेत की तरह है
जितना कस के पकरो
फिसालती ही जाती है
हाथो से बस फिसालती ही जाती है ।।
©Dr kumar Shanu
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