मेरे मन के रथ की धूरा जरा जोर से पकड़िएगा माधव,,,
कुछ अपनों के खिलाफ लड़ना है,
कुछ सपनों को घडना है,
बहुत दूर तलक जाना है,
रण मे हाहाकार मचाना है,
ये जो अपनों से नजर आते है,
जो बात करने पर बात बचाते है,
इनसे अब आगे निकलना है,
मेरे मन के रथ की धूरा जरा जोर से पकड़िएगा माधव,,,
बहुत दूर तलक साथ चलना है...$
परेशान जरूर हुआ हुं,
पर हारा नहीं हुं,
भयभीत हो जाऊं इन सबसे
इतना भी नाकारा नहीं हुं
अपने भीतर चल रहे युद्ध को
अब पूर्ण विराम लगाना है,
मेरे मन के रथ की धूरा जरा जोर से पकड़िएगा माधव,,,
बहुत दूर तलक साथ जाना है...$
मुस्कुराना सीख रहा हूं,
बातें बनाना सीख रहा हूं,
छल भी है जरूरी जीवन मे
आपके किरदार को
अंतर्मन में लिख रहा हूं
महाभारत हुई जो फिर से
तो अब के नही घबराऊंगा
हो सामने परिजन, मित्र या कोई संबंधी
सब पर तीर चलाऊंगा,
सुदर्शन सा बन कर
सारी नकारात्मकता को
शिशुपाल सा गले लगाना है,
मेरे मन के रथ की धूरा जरा जोर से पकड़िएगा माधव,,,
बहुत दूर तलक साथ जाना है...
बहुत दूर तलक साथ जाना है...$
©Neil Thakur
#DearKanha