बड़ी मुद्दतों से जो ये ख़ामोश अल्फ़ाज़ क़ैद हैं
दिल की तहों में चुपके से बसी आवाज़ क़ैद हैं
ग़ौर से पढ़ना कभी इन तहरीरों की चुप्पी को
ये नज़्में नहीं, किसी दर्द की साज़ क़ैद हैं
यूँ ना समझो ख़ामोशियों में कुछ बयाँ नहीं होता
हर लफ़्ज़ की चीख़ में सौ कहानियों का राज़ क़ैद हैं
तू जब भी पढ़े इन्हें, धड़कनों से सुन लेना
इन लफ़्ज़ों में अश्क, ख़्वाबों के मआल क़ैद हैं
और जब कभी ये ख़ामोश अल्फ़ाज़ चीख़ उठें
समझ लेना कि मोहब्बत के बेइन्तहा सवाल क़ैद हैं...
©UNCLE彡RAVAN
#alone