White पल्लव की डायरी
वैश्वीकरण और उदारीकरण
ऋणों पर आधारित है
जमीन से जुड़े रोजगार छीन रहा है
जीवनयापन सरकारों पर आश्रित
कुटीर उद्योग पेशेवरों को सौप रहा है
नोकरी सरकारी खत्म
जी एसटी से व्यापार छीन रहा है
हताशा में है नवयुवक
छ्ल कर हाथ मल रहा है
बन्द करो सब संधिया, शूट
भारत को नही करती है
संसाधन के हम धनी है
वेवशी हमे सहन नही होती है
सत्ताओ के माध्यम से
गुलामी अब हमें सहन नही होती है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Sad_shayri संसाधनों के हम धनी,वेवशी सहन नही होती है
#nojotohindi