White मेरी ख़ामोशी में कितनी बातें थी मेरी आंखों | हिंदी Poetry

"White मेरी ख़ामोशी में कितनी बातें थी मेरी आंखों में जागी कितनी रातें थी बातें मन की अक्सर कम ही बताता था अक्सर दर्द में भी मैं मुस्कुराता था देखकर भी सब कुछ अनदेखा करता था क्योंकि कुछ भी खोने से मैं डरता था सबका हाथ पकड़ कर मैं हमेशा लेकर साथ चलता था अक्सर अपनों के नाम पर मैं कितने चेहरे बदलता था हर हवास को मजबूरी कहकर टालता था अपनी से ज्यादा अपनों की खुशी पालता था हर रिश्ता एक दीवार था मैंने  छत बनकर बनाया परिवार था हर दिन कोशिश करता था नहीं खुशी लाने की हर तरह की गमगीन से बचाने की तिनके तिनके से घर बनाना यह मेरा फर्ज था मुख्य होकर सबको बसाना यह मेरा दर्ज था ©anjali talks"

 White मेरी ख़ामोशी में कितनी बातें थी 
मेरी आंखों में जागी कितनी रातें थी
बातें मन की अक्सर कम ही बताता था
अक्सर दर्द में भी मैं मुस्कुराता था
देखकर भी सब कुछ अनदेखा करता था
क्योंकि कुछ भी खोने से मैं डरता था
सबका हाथ पकड़ कर मैं हमेशा लेकर साथ चलता था
अक्सर अपनों के नाम पर मैं कितने चेहरे बदलता था
हर हवास को मजबूरी कहकर टालता था
अपनी से ज्यादा अपनों की खुशी पालता था
हर रिश्ता एक दीवार था 
मैंने  छत बनकर बनाया परिवार था
हर दिन कोशिश करता था नहीं खुशी लाने की
हर तरह की गमगीन से बचाने की
तिनके तिनके से घर बनाना
यह मेरा फर्ज था
मुख्य होकर सबको बसाना 
यह मेरा दर्ज था

©anjali talks

White मेरी ख़ामोशी में कितनी बातें थी मेरी आंखों में जागी कितनी रातें थी बातें मन की अक्सर कम ही बताता था अक्सर दर्द में भी मैं मुस्कुराता था देखकर भी सब कुछ अनदेखा करता था क्योंकि कुछ भी खोने से मैं डरता था सबका हाथ पकड़ कर मैं हमेशा लेकर साथ चलता था अक्सर अपनों के नाम पर मैं कितने चेहरे बदलता था हर हवास को मजबूरी कहकर टालता था अपनी से ज्यादा अपनों की खुशी पालता था हर रिश्ता एक दीवार था मैंने  छत बनकर बनाया परिवार था हर दिन कोशिश करता था नहीं खुशी लाने की हर तरह की गमगीन से बचाने की तिनके तिनके से घर बनाना यह मेरा फर्ज था मुख्य होकर सबको बसाना यह मेरा दर्ज था ©anjali talks

#fathers_day

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