White गए थे शौक़ से हम भी ये दुनिया देखने को
मिला हम को हमारा ही तमाशा देखने को
खड़े हैं राह चलते लोग कितनी ख़ामुशी से
सड़क पर मरने वालों का तमाशा देखने को
बहुत से आइना-ख़ाने हैं इस बस्ती में लेकिन
तरसती है हमारी आँख चेहरा देखने को
कमानों में खिंचे हैं तीर तलवारें हैं चमकी
ज़रा ठहरो कहाँ जाते हो दरिया देखने को
ख़ुदा ने मुझ को बिन-माँगे ये नेमत दी है 'मंज़र'
तरसते हैं बहुत से लोग ममता देखने को
@ manzar bhopali
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©दिवाकर
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