इस जग के वो पालनहार, इस धरा के बिंदु वही,
तीनों लोक के स्वामी हैं वो, वो ही है करुणा निधान है,
इस जग के प्रभाव तो बस प्रभु श्री राम है,
ना जाने उठते कितने मन में अनगिनत भाव हैं,
पर उन सब भावों का प्रभाव सिर्फ राम हैं,
पिता के वचन के खातिर त्याग सब राज पाट,
निकल पड़े वन को पुण्य काम की तलाश में,
जो खुद हैं सभी तीर्थों के धामों के स्वामी,
वन वन भटक रहे थे वो तीर्थ फिर से नए धाम की तलाश में,
ना किसी मोह न किसी माया की तलाश में,
राजा श्री राम तो वन गए थे खुद प्रभु श्री राम की तलाश में,
जो न छोड़ते वो महल तो राजा राम ही रह जाते,
जो भटके वन वन वो तो तब बन गए प्रभु श्री राम हैं,
उन्हें ढूंढने जाने को दुनिया बहुत बड़ी सी है,
को खुद में देखो ढूंढकर मिल जायेंगे अपने राम अपने ही मन के अंदर,
जो समय के साथ में ढलना कैसे हमें सीखा गए,
त्याग सब सुख सुविधा को प्रसन्न रहना कैसे बतला गए,
खुद जो जगमग करते थे जग को,
वो सरल जीवन में बस दिए से जले सदा,
खुद को ही बना के पथ उस पथ पे जग के कल्याण को चले सदा,
देके जग को कई सीखें, खुद को राजा राम से मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्री राम बना लिया,
छोड़ के जो भटके थे वन वन उन्होंने सबको तार दिया,
ख़ाके झूठे बेर सबरी के उन्होंने जग को एक समान किया,
कर अहिल्या का उद्धार न जाने कितने कष्टों को हर लिया,
माता सीता के खातिर जिन्होंने लंकापति न नाश किया,
और अंतिम समय में जाके अपने दुश्मन से भी ज्ञान लिया,
ऐसे ही नहीं उन्होंने जीवन को आदर्श किया,
राम बन पाना बस प्रभु श्री राम का ही काम था,
यूंही नही आदर्शों का उनके अब तक प्रभाव है,
कि देखो हर युग में कुछ न कुछ सिखलाने के बाद,
मेरे प्रभु श्री राम लेके माता सीता को साथ,
फिर पधार रहे हैं अपने निज श्री अयोध्या धाम,
कि उनके स्वागत को व्याकुल ये नैना करे हैं इंतजार,
देखो लौट के फिर से आ रहे हैं हमारे प्रभु श्री राम,
जिनके आने से जगमग होगा फिर सारा संसार,
फिर बहेगी ज्ञान की गंगा और उमड़ेगा खुशियों का सागर बारंबार,
कि करने इस जग का कल्याण कलयुग में आ रहे हैं,
देखो सब लोग मेरे प्रभु श्री राम माता जानकी के साथ,
संग में प्रभु लक्ष्मण और संकटमोचन श्री हनुमान,
सजाना है जग को फिर से उनके स्वागत में दियों के साथ,
कि देने अपना आशीष आ रहें है स्वयं मेरे प्रभु राम...
©Shivendra Gupta 'शिव'
#NojotoRamleela