एक दरीचे को मैं खड़ा तांक रहा था
वहीं खिड़की से कोई झांक रहा था
एक अरसे से बंद थे उस घर के दर
कब से उस गली की छान ख़ाक रहा था
यूं ही शाय़द वो छुप कर रहा है मुझसे
मेरी हिम्मत मेरा सब्र वो आंक रहा था
जुदाई तो मौत के मुहाने पर ले आई मुझे
इश्क़ ही मेरी जिस़्त का रथ हांक रहा था
©Anees Rahi
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