"हम अपनी बात करें तो ज़ाहिरी हुस्न सिर्फ चेहरे में देखते हैं रंग और फिगर पे नज़र कम जाती है ।वो भी बहुत बाद में जाती है । चूंकि हुस्न परस्त हूँ तो हसीन चेहरे मुझे अट्रैक्ट भी बहुत करते है मगर असल हुस्न हमारे किरदार में होता है । कुछ लोगों का किरदार, उनका मेयार, उनकी सोच, उनकी बातें उनका फलसफा बहुत ही आला दर्जे का होता है मगर फिर भी बहुत अकेले होते हैं क्यूँ कि रिश्तों का हुस्न आपसी अंडर स्टैंडिंग में होता है ।
©Daniyal
"