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विभीषिका है बाढ़ की, जनजीवन बेहाल।
खेत खलिहान बह गये, जीना हुआ मुहाल।।
कठिन दौर में बाढ़ के, अस्त-व्यस्त हैं लोग।
कुदरत के इस कहर से, बचना है संयोग।।
इंद्रदेव क्यूं कुपित हैं,समझ न आए बात।
परेशान सबको किए, हुए बुरे हालात।।
-निलम
©Nilam Agarwalla
#बाढ़