White विभीषिका है बाढ़ की, जनजीवन बेहाल। खेत खलिह | हिंदी कविता

"White विभीषिका है बाढ़ की, जनजीवन बेहाल। खेत खलिहान बह गये, जीना हुआ मुहाल।। कठिन दौर में बाढ़ के, अस्त-व्यस्त हैं लोग। कुदरत के इस कहर से, बचना है संयोग।। इंद्रदेव क्यूं कुपित हैं,समझ न आए बात। परेशान सबको किए, हुए बुरे हालात।। -निलम ©Nilam Agarwalla"

 White 
विभीषिका है बाढ़ की, जनजीवन बेहाल।
खेत खलिहान बह गये, जीना हुआ मुहाल।।

कठिन दौर में बाढ़ के, अस्त-व्यस्त हैं लोग।
कुदरत के इस कहर से, बचना है संयोग।।

इंद्रदेव क्यूं कुपित हैं,समझ न आए बात।
परेशान सबको किए, हुए बुरे हालात।।

 -निलम

©Nilam Agarwalla

White विभीषिका है बाढ़ की, जनजीवन बेहाल। खेत खलिहान बह गये, जीना हुआ मुहाल।। कठिन दौर में बाढ़ के, अस्त-व्यस्त हैं लोग। कुदरत के इस कहर से, बचना है संयोग।। इंद्रदेव क्यूं कुपित हैं,समझ न आए बात। परेशान सबको किए, हुए बुरे हालात।। -निलम ©Nilam Agarwalla

#बाढ़

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