White रचना दिनांक 21,,12,,2024
वार शनिवार
समय दोपहर तीन बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ्
आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््
नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,,
अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का ,
जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।।
,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,,
समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।।
और अपने आप में ,,
कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।।
वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,,
खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।।
रब के मुलाज़िमों में,,
वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।।
््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
21 दिसम्बर,,2024,
©Shailendra Anand
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कवि शैलेंद्र आनंद