इश्क तेरी इंतहा क्या है
दर्द क्या है जफा क्या है
आसमां में आवारा फिर रहे हैं
परिंद सारे माजरा क्या है
मुझको चलना सीखा रहे हैं वो
जिन्हें मालूम नहीं रास्ता क्या है
गर मैं पागल तो फिर दुनिया
तेरा मुझसे गिला क्या है
गर उसकी बाहों में मिले मुझको
सो नींद तेरा मसला क्या है
मुझको उससे मुहब्बत है साकी
अब इसमें मेरी खता क्या है
मैं जो पुजूं तो पत्थर भी देवता
न मानूं तो देवता क्या है
—Shiv Anand
©Shiv Anand
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