White हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो ये ज़ | हिंदी शायरी

"White हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो न जाने कौन सी मज़बूरियों का क़ैदी हो वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यूँ उछाला मुझे ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इस को हादसा न कहो ये और बात कि दुश्मन हुआ है आज मगर वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो हमारे ऐब हमें उँगलियों पे गिनवाओ हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो मैं वाक़ियात की ज़न्जीर का नहीं क़ायल मुझे भी अपने गुनाहों का सिलसिला न कहो ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी हैं बहुत हर एक तराशे हुए बुत को देवता न कहो ©Deepubodhi"

 White हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो
ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो

न जाने कौन सी मज़बूरियों का क़ैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो

तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यूँ उछाला मुझे
ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इस को हादसा न कहो

ये और बात कि दुश्मन हुआ है आज मगर
वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो

हमारे ऐब हमें उँगलियों पे गिनवाओ
हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो

मैं वाक़ियात की ज़न्जीर का नहीं क़ायल
मुझे भी अपने गुनाहों का सिलसिला न कहो

ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी हैं बहुत
हर एक तराशे हुए बुत को देवता न कहो

©Deepubodhi

White हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो न जाने कौन सी मज़बूरियों का क़ैदी हो वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यूँ उछाला मुझे ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इस को हादसा न कहो ये और बात कि दुश्मन हुआ है आज मगर वो मेरा दोस्त था कल तक उसे बुरा न कहो हमारे ऐब हमें उँगलियों पे गिनवाओ हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा न कहो मैं वाक़ियात की ज़न्जीर का नहीं क़ायल मुझे भी अपने गुनाहों का सिलसिला न कहो ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी हैं बहुत हर एक तराशे हुए बुत को देवता न कहो ©Deepubodhi

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