टूटता है शब्द कोई
जब मन में गुथा हुआ
नीरनिधि बनी वंध्या मिट्टी
और फूल पैरो से रौंदा हुआ
सुख गया रसातल इस धरा पे
और मदिरालय है भरा हुआ
शोर मचाते सत्य हैं दबाते
आज भाई,भाई से डरा हुआ
विद्यालय,जहाँ जन्म ले विद्या सारी
अब नीतिज्ञ वहाँ पे मरा हुआ
कुछ न सुझा लिख दिया यहाँ पे
आज फिर कुछ शब्द गुथा हुआ ....... "नीर"
©Neeraj Neer
#KhulaAasman