"आहिस्ता -आहिस्ता ये मुल्क़ मेरा दो हिस्सों में बंट रहा है
अब बस तमन्ना इक अफ़सूँ की है
की ये मुल्क़ मेरा फिर से पुराना हिन्दुस्तां हो जाए
फिर एक गाँधी फिर कोई अशफ़ाक़ हो जाए
हिन्दू -मुस्लिम के बीच की नफ़रत ,अब बस खाक़ हो जाए।
अब बस खाक़ हो जाए।🙏
©स्वाति आनंद"