स्याह रात में जलते है जुगनुओं की तरह, दिलों के ज़ख | हिंदी शायरी

"स्याह रात में जलते है जुगनुओं की तरह, दिलों के ज़ख्म भी मंसूर कमाल के होते हैं !! ©Mansoor Mansuri ✍"

 स्याह रात में जलते है जुगनुओं की तरह,
दिलों के ज़ख्म भी मंसूर कमाल के होते हैं !!

©Mansoor Mansuri ✍

स्याह रात में जलते है जुगनुओं की तरह, दिलों के ज़ख्म भी मंसूर कमाल के होते हैं !! ©Mansoor Mansuri ✍

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