White *अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र* जंग के मैदान में | हिंदी कविता Video

"White *अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र* जंग के मैदान में चमकते तेग़, अस्त्र-शस्त्र में बसा अजीब सा शौक़। दुश्मन की फौज से मुकाबिल जब हो, सजीला वो वीर, संग ख़ंजर-ओ-बर्क़। वस्त्र में लिपटे जांबाज़ों के रंग, हौंसले से भरी वो फिज़ा की तरंग। आबरू की हिफ़ाज़त, जंग में फ़न, इन में सिमटी है जमीं-ओ-आसमां। मोहब्बत का लिबास, सुकून-ओ-अमन, दिल में तहज़ीब, हाथ में क़लम। अस्त्र हो अगर, तो अदब भी रखो, वस्त्र की तरह उस पे लगाओ ज़ेब-ओ-ज़ीनत। यही जंग और अमन का उसूल रहे, जहाँ हथियार नहीं, बस इंसानियत जिए ©Niaz (Harf) "

White *अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र* जंग के मैदान में चमकते तेग़, अस्त्र-शस्त्र में बसा अजीब सा शौक़। दुश्मन की फौज से मुकाबिल जब हो, सजीला वो वीर, संग ख़ंजर-ओ-बर्क़। वस्त्र में लिपटे जांबाज़ों के रंग, हौंसले से भरी वो फिज़ा की तरंग। आबरू की हिफ़ाज़त, जंग में फ़न, इन में सिमटी है जमीं-ओ-आसमां। मोहब्बत का लिबास, सुकून-ओ-अमन, दिल में तहज़ीब, हाथ में क़लम। अस्त्र हो अगर, तो अदब भी रखो, वस्त्र की तरह उस पे लगाओ ज़ेब-ओ-ज़ीनत। यही जंग और अमन का उसूल रहे, जहाँ हथियार नहीं, बस इंसानियत जिए ©Niaz (Harf)

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