White *अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र*
जंग के मैदान में चमकते तेग़,
अस्त्र-शस्त्र में बसा अजीब सा शौक़।
दुश्मन की फौज से मुकाबिल जब हो,
सजीला वो वीर, संग ख़ंजर-ओ-बर्क़।
वस्त्र में लिपटे जांबाज़ों के रंग,
हौंसले से भरी वो फिज़ा की तरंग।
आबरू की हिफ़ाज़त, जंग में फ़न,
इन में सिमटी है जमीं-ओ-आसमां।
मोहब्बत का लिबास, सुकून-ओ-अमन,
दिल में तहज़ीब, हाथ में क़लम।
अस्त्र हो अगर, तो अदब भी रखो,
वस्त्र की तरह उस पे लगाओ ज़ेब-ओ-ज़ीनत।
यही जंग और अमन का उसूल रहे,
जहाँ हथियार नहीं, बस इंसानियत जिए
©Niaz (Harf)
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