सत्तर शतक लगाने वाला
चौकों को, बरसाने वाला।
एक शतक को तरसा कबतक।
आउट को तरसाने वाला।
समय किसी के साथ नहीं है।
समय किसी के हाथ नहीं है।
दाल भात तो सब खा लेते।
शतक लगाना भात नहीं है।
जिसकी होती मात नहीं है।
ऐसी कोई जात नहीं है।
बीत गया जो कठिन समय था।
छोड़ो कोई बात नहीं है।
©सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र)
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