रिश्तों की हाट लगी तरह तरह के रिश्ते देखे बात नही | हिंदी शायरी

"रिश्तों की हाट लगी तरह तरह के रिश्ते देखे बात नहीं थी कोई नई फिर भी हम कह कर देखे रिश्ते जो मतलब के निकले काम निकलकते ही बिखर गए रिश्ते जो जरूरत में बने बिगड़ बिगड़ कर भी बनते रहे रिश्ते सिर्फ खरे प्यार के ना टूटे ना बिखरे कभी जितनी किस्मत रूठी उतनी मजबूती से संवरे भी बबली गुर्जर ©Babli Gurjar"

 रिश्तों  की हाट लगी तरह तरह के रिश्ते देखे
बात नहीं थी कोई नई फिर भी हम कह कर देखे

रिश्ते जो मतलब के निकले काम निकलकते ही बिखर गए
रिश्ते जो जरूरत में बने बिगड़ बिगड़ कर भी बनते रहे 

रिश्ते सिर्फ खरे प्यार के ना टूटे ना बिखरे कभी 
जितनी किस्मत रूठी उतनी मजबूती से संवरे भी 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

रिश्तों की हाट लगी तरह तरह के रिश्ते देखे बात नहीं थी कोई नई फिर भी हम कह कर देखे रिश्ते जो मतलब के निकले काम निकलकते ही बिखर गए रिश्ते जो जरूरत में बने बिगड़ बिगड़ कर भी बनते रहे रिश्ते सिर्फ खरे प्यार के ना टूटे ना बिखरे कभी जितनी किस्मत रूठी उतनी मजबूती से संवरे भी बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

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