"रिश्तों की हाट लगी तरह तरह के रिश्ते देखे
बात नहीं थी कोई नई फिर भी हम कह कर देखे
रिश्ते जो मतलब के निकले काम निकलकते ही बिखर गए
रिश्ते जो जरूरत में बने बिगड़ बिगड़ कर भी बनते रहे
रिश्ते सिर्फ खरे प्यार के ना टूटे ना बिखरे कभी
जितनी किस्मत रूठी उतनी मजबूती से संवरे भी
बबली गुर्जर
©Babli Gurjar"