एक रोज़ जब तुम सब पा लोगें फिर कंही जब खाली बैठे तुम अपनी स्मृतियो में जाओगे तब तुम मुझे वहाँ खड़ा देख कर तुम होंठो पर मुस्कान ओर आंखों मे नमी महसूस करोंगे उस समय तुम्हे वो तमाम संस्मरण सतायेंगे जो कभी तुमने मेरे साथ जिये होंगे यह पत्र तुम पर कोई आरोप नही लगता बस तुम्हे भविष्य के उस संस्मरण की और खिंचता है जो शायेद तुम्हरा सत्य बन जाए
©Jishant ansari
#Life