लिख दो कुछ भी यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़। नफ़ | हिंदी शायरी

"लिख दो कुछ भी यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़। नफ़रत या फिर प्यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। सौंप दिया है मैने सब कुछ तेरे हाथों में हमदम, जीत हो या फिर हार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। दिल तेरा ये धड़कन तेरी मेरी हर एक सांस भी तेरी, करलो न स्वीकार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। जिसके भी हिस्से में तू हो खुशियों का अंबार लगे, तू जीवन आधार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। कोई फिकर नहीं है मुझको जब तू मेरे साथ खड़ा, तुझसे हैं संसार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। ©Chanchal Hriday Pathak"

 लिख दो कुछ भी यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।
नफ़रत या फिर प्यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।।

सौंप  दिया  है  मैने  सब  कुछ  तेरे  हाथों  में  हमदम,
जीत हो या फिर  हार मेरे मैं  ठहरा एक कोरा कागज़।।

दिल तेरा ये  धड़कन तेरी  मेरी हर एक सांस  भी तेरी,
करलो न स्वीकार  मेरे  मैं  ठहरा एक  कोरा  कागज़।।

जिसके भी हिस्से में  तू  हो  खुशियों का  अंबार  लगे,
तू जीवन  आधार   मेरे  मैं  ठहरा  एक  कोरा कागज़।।

कोई फिकर  नहीं  है मुझको  जब तू  मेरे  साथ  खड़ा,
तुझसे  हैं  संसार  मेरे  मैं  ठहरा  एक  कोरा  कागज़।।

©Chanchal Hriday Pathak

लिख दो कुछ भी यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़। नफ़रत या फिर प्यार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। सौंप दिया है मैने सब कुछ तेरे हाथों में हमदम, जीत हो या फिर हार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। दिल तेरा ये धड़कन तेरी मेरी हर एक सांस भी तेरी, करलो न स्वीकार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। जिसके भी हिस्से में तू हो खुशियों का अंबार लगे, तू जीवन आधार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। कोई फिकर नहीं है मुझको जब तू मेरे साथ खड़ा, तुझसे हैं संसार मेरे मैं ठहरा एक कोरा कागज़।। ©Chanchal Hriday Pathak

#कोराकाग़ज़

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