वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे खुदगर | हिंदी कविता

"वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे खुदगर्गियो के समुद्र में अपना वजूद तक डुबा बैठे जो उनकी नज़र में रोटी थी मेरी नज़र में थी बोटी शुद्ध शाकाहारी हूं मैं तो मुझे तकलीफ़ भी क्या होती बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे
खुदगर्गियो के समुद्र में अपना वजूद तक डुबा बैठे
जो उनकी नज़र में रोटी थी मेरी नज़र में थी बोटी
शुद्ध शाकाहारी हूं मैं तो मुझे तकलीफ़ भी क्या होती 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे खुदगर्गियो के समुद्र में अपना वजूद तक डुबा बैठे जो उनकी नज़र में रोटी थी मेरी नज़र में थी बोटी शुद्ध शाकाहारी हूं मैं तो मुझे तकलीफ़ भी क्या होती बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

@Sethi Ji @SIDDHARTH.SHENDE.sid @Ashutosh Mishra @R Ojha KK क्षत्राणी @Vikram vicky 3.0

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