White ये बेरुखी मुझे खुद से सही नहीं जाती , मुफ़लिस | हिंदी शायरी

"White ये बेरुखी मुझे खुद से सही नहीं जाती , मुफ़लिसी में कैद सांसे रखी नहीं जाती, जो गुजर रही इन दिनों मेरे जहन पर , इस उम्र में ये बातें भी कहीं नहीं जाती, ©Akash Rajput"

 White ये बेरुखी मुझे खुद से सही नहीं जाती ,
मुफ़लिसी में कैद सांसे रखी नहीं जाती,
जो गुजर रही इन दिनों मेरे जहन पर ,
इस उम्र में ये बातें भी कहीं नहीं जाती,

©Akash Rajput

White ये बेरुखी मुझे खुद से सही नहीं जाती , मुफ़लिसी में कैद सांसे रखी नहीं जाती, जो गुजर रही इन दिनों मेरे जहन पर , इस उम्र में ये बातें भी कहीं नहीं जाती, ©Akash Rajput

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