munish writer बहुत बहुत धन्यवाद मनीष जी ,,यादों को भुलाना आसान तो नहीं ,पर यादों के सहारे जीवन काटना भी संभव नहीं हैं ।
कुछ एक अपवाद हैं भी जो यादों के सहारे जीवन काट लेते हैं ,परंतु वो अपने आप में ही सिमटकर रह जाते हैं । उनके जीवन का कोई महत्व रह नहीं जाता ।
जैसे ,,सूर्य के बगैर दिन,और चांद के बगैर रात । और पानी के बगैर धरती ।
👌 🌹 भाव पूर्ण अभिव्यक्ति बहुत खूब लिखा आपने भाई साहब 🌹 👌