अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है रास्ता कोई न | हिंदी शायरी

"अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोड़ती है।। ©Dr Amit Gupta"

 अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है
रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोड़ती है।।

©Dr Amit Gupta

अपने होने का सुबूत और निशाँ छोड़ती है रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोड़ती है।। ©Dr Amit Gupta

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