बात करें तो किस से करें,
यह दिल का हाल किसे कहें।
हर चेहरा अब अजनबी सा लगे,
अपने भी जैसे पराये लगें।
सन्नाटों में खो गई है सदा,
साथ जो थे, अब नहीं रहे वफा।
खुद से सवाल करें तो जवाब मिले,
पर दूसरों से बोलें तो लफ्ज़ थम जाएं।
चांद से कहें या सितारों से बात करें,
दिल के जख्मों को कैसे बयां करें।
खामोशी की चादर ओढ़ ली है,
अब इन अधूरी बातों को कहां रखें।
©Balwant Mehta