White इश्क हमारा नादान उम्र में भी संजीदा था पीपल | हिंदी शायरी

"White इश्क हमारा नादान उम्र में भी संजीदा था पीपल के पेड़ के नीचे कनखियों से देख मुस्कुराकर कर बस अंगड़ाइयां ले लेते थे ना उसने कभी कुछ कहा ना हमने बस बातें आंखें ही आंखों से  कर लेती थी। अब झुर्रियों में इश्क फरमाना पेचीदा है बस स्याह काकुलें देख कर वाह! को आह के अंदाज में कहकर बंद आंखों से बीता समय महसूस कर लेते हैं ‌।। ©Mohan Sardarshahari"

 White इश्क हमारा नादान उम्र में भी संजीदा था
पीपल के पेड़ के नीचे कनखियों से देख
मुस्कुराकर कर बस अंगड़ाइयां ले लेते थे
ना उसने कभी कुछ कहा ना हमने 
बस बातें आंखें ही आंखों से  कर लेती थी।
अब झुर्रियों में इश्क फरमाना पेचीदा है 
बस स्याह काकुलें देख कर
वाह! को आह के अंदाज में कहकर
बंद आंखों से बीता समय महसूस कर लेते हैं ‌।।

©Mohan Sardarshahari

White इश्क हमारा नादान उम्र में भी संजीदा था पीपल के पेड़ के नीचे कनखियों से देख मुस्कुराकर कर बस अंगड़ाइयां ले लेते थे ना उसने कभी कुछ कहा ना हमने बस बातें आंखें ही आंखों से  कर लेती थी। अब झुर्रियों में इश्क फरमाना पेचीदा है बस स्याह काकुलें देख कर वाह! को आह के अंदाज में कहकर बंद आंखों से बीता समय महसूस कर लेते हैं ‌।। ©Mohan Sardarshahari

# संजीदा

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