मेरे मन के मीत ओ कान्हा तू जाने है प्रीत मेरी तेरी | हिंदी Bhakti

"मेरे मन के मीत ओ कान्हा तू जाने है प्रीत मेरी तेरी एक मुस्कान पर हारूं सबसे बड़ी है जीत मेरी क्या अपना और क्या है पराया, सब नश्वर बेमानी है अमर करे वह तेरी भक्ति, बाकी बन जाते कहानी है सांसें तेरी जीवन तेरा, है डोर तेरे ही हाथों में सुखवाल या दुख वाला, हर छोर तेरे ही हाथों में अपना ले ठुकरा दे अब तो तेरी मर्जी है तेरे चरण में शरण है ले ली, ये मेरी खुदगर्जी है जप तप नियम नहीं जानू मैं करती तुमको प्यार प्रभु श्रद्धा के दो पुष्प चढ़ाऊ कर लो तुम स्वीकार प्रभु ©Anita Agarwal"

 मेरे मन के मीत ओ कान्हा तू जाने है प्रीत मेरी
तेरी एक मुस्कान पर हारूं सबसे बड़ी है जीत मेरी

क्या अपना और क्या है पराया, सब नश्वर बेमानी है
अमर करे वह तेरी भक्ति, बाकी बन जाते कहानी है

सांसें तेरी जीवन तेरा, है डोर तेरे ही हाथों में
सुखवाल या दुख वाला, हर छोर तेरे ही हाथों में

अपना ले ठुकरा दे अब तो तेरी मर्जी है
तेरे चरण में शरण है ले ली, ये मेरी खुदगर्जी है

जप तप नियम नहीं जानू मैं करती तुमको प्यार प्रभु
श्रद्धा के दो पुष्प चढ़ाऊ कर लो तुम स्वीकार प्रभु

©Anita Agarwal

मेरे मन के मीत ओ कान्हा तू जाने है प्रीत मेरी तेरी एक मुस्कान पर हारूं सबसे बड़ी है जीत मेरी क्या अपना और क्या है पराया, सब नश्वर बेमानी है अमर करे वह तेरी भक्ति, बाकी बन जाते कहानी है सांसें तेरी जीवन तेरा, है डोर तेरे ही हाथों में सुखवाल या दुख वाला, हर छोर तेरे ही हाथों में अपना ले ठुकरा दे अब तो तेरी मर्जी है तेरे चरण में शरण है ले ली, ये मेरी खुदगर्जी है जप तप नियम नहीं जानू मैं करती तुमको प्यार प्रभु श्रद्धा के दो पुष्प चढ़ाऊ कर लो तुम स्वीकार प्रभु ©Anita Agarwal

#Krishna

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