हमेशा से मुझे बताया गया बुरा इन्सान नहीं वक़्त होता है।
स्थिरता और ,थोड़ा सा धर्य फिर सारा नज़ारा बदल जाता हैं
मैं अक्सर सोचती थी इंसान इतना तो कमजोर नहीं जो हार जाए
सायद औरों की सुनते सुनते और सबको समझते समझते थक जाता हैं
खामोशी को करके अपने करीब शोर से दूर खुद में ढल जाता है
और इसिलिए इंसान वक़्त के हाथों मजबूर वक़्त से पहले बदल जाता है।।
©Sheena Pradhan