अब कौन करे मोहब्बत फिर से , अब कौन सहे वो ग़म दोब | हिंदी Poetry

"अब कौन करे मोहब्बत फिर से , अब कौन सहे वो ग़म दोबारा अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से , जब टूट गए दिल के सब हिस्से अब कौन बीताये आँसुओं में रातें , वही सब गम - वही फिर बातें अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है , जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं , कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी अब वो अगर मिले कहीं तो उसे मेरे जज्बातों का पता देना , मैं भी अब भूल चुका हूं उसे ये तुम जरा उसे बता देना अब बस इतनी से इल्तज़ा है की अब वो कभी ना आये , अब कोई ना रोको उसे , आख़िर वो चली ही जाए - विक्रम . ©VIKRAM RAJAK"

 अब कौन करे मोहब्बत फिर से , 
अब कौन सहे वो ग़म दोबारा
  
अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से , 
जब टूट गए दिल के सब हिस्से
  
अब कौन बीताये आँसुओं में रातें , 
वही सब गम - वही फिर बातें

अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है , 
जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी  
आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं , 
कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी
  
अब वो अगर मिले कहीं तो 
उसे मेरे जज्बातों का पता देना ,
 
मैं भी अब भूल चुका हूं उसे 
ये तुम जरा उसे बता देना
 
अब बस इतनी से इल्तज़ा है  
की अब वो कभी ना आये ,
 
अब कोई ना रोको उसे , 
आख़िर वो चली ही जाए 
- विक्रम


.

©VIKRAM RAJAK

अब कौन करे मोहब्बत फिर से , अब कौन सहे वो ग़म दोबारा अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से , जब टूट गए दिल के सब हिस्से अब कौन बीताये आँसुओं में रातें , वही सब गम - वही फिर बातें अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है , जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं , कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी अब वो अगर मिले कहीं तो उसे मेरे जज्बातों का पता देना , मैं भी अब भूल चुका हूं उसे ये तुम जरा उसे बता देना अब बस इतनी से इल्तज़ा है की अब वो कभी ना आये , अब कोई ना रोको उसे , आख़िर वो चली ही जाए - विक्रम . ©VIKRAM RAJAK

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