अब कौन करे मोहब्बत फिर से ,
अब कौन सहे वो ग़म दोबारा
अब क्यूँ दोहराये वही फिर किस्से ,
जब टूट गए दिल के सब हिस्से
अब कौन बीताये आँसुओं में रातें ,
वही सब गम - वही फिर बातें
अब ना वो दौर , ना वो हौंसला , ना वो मंज़र है ,
जब मेरे एक बार पुकारने पर वो पलट जाया करती थी
आज उसे आवाज़ देकर बुलाने का भी हक़ नहीं ,
कभी जो आँख के एक इशारे से लिपट जाया करती थी
अब वो अगर मिले कहीं तो
उसे मेरे जज्बातों का पता देना ,
मैं भी अब भूल चुका हूं उसे
ये तुम जरा उसे बता देना
अब बस इतनी से इल्तज़ा है
की अब वो कभी ना आये ,
अब कोई ना रोको उसे ,
आख़िर वो चली ही जाए
- विक्रम
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©VIKRAM RAJAK
#GoldenHour