White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे | हिंदी कविता

"White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता। प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं, वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं। प्यार से सींचो, तो ये अमर हो जाते हैं, वरना ये जख्म बनकर सदा रुलाते हैं। ©नवनीत ठाकुर"

 White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता,
भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता।
झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं,
तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता।

प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं,
वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं।
प्यार से सींचो, तो ये अमर हो जाते हैं,
वरना ये जख्म बनकर सदा रुलाते हैं।

©नवनीत ठाकुर

White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता। प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं, वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं। प्यार से सींचो, तो ये अमर हो जाते हैं, वरना ये जख्म बनकर सदा रुलाते हैं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता,
भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता।
झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं,
तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता।

प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं,
वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं।

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