White कायरों का अपना कोई देश नहीं होता छुट चुकी | हिंदी विचार

"White कायरों का अपना कोई देश नहीं होता छुट चुकी मिट्टी अब बिलबिलाने से क्या होता छूट रही थी जमी जब तुम्हारी, खामोश तुम खड़े थे, उठाई ना लाठी किसी ने आखिर कोन कोन लड़े थे ? आज देते हो इतिहास की दुहाई सदियों पुराना तुमने इतिहास ना पड़ा,, चीटी भी हाथी से लड़ जाती है, लगता है यह बात तुमको समज ना आई। कायरों का कोई अपना देश नहीं होता लाखों की तादाद में थे तुम ,, क्या खुद की कायरता पर अफसोस नहीं होता। मे सिवाय संवेदना के कुछ ओर प्रकट नहीं कर सकता,, जो कभी हुए ना अपनों के ना अपनी मिट्टी के उन्हें हम अपने साथ हंसी खुशी से नहीं रख सकते। ©JitendraSHARMA (सोज़)"

 White 
कायरों का अपना कोई देश नहीं होता 
छुट चुकी मिट्टी अब बिलबिलाने से क्या होता 

छूट रही थी जमी जब तुम्हारी, खामोश तुम खड़े थे,
उठाई ना लाठी किसी ने
आखिर कोन कोन लड़े थे ?

आज देते हो इतिहास की दुहाई 
सदियों पुराना तुमने इतिहास ना पड़ा,,
चीटी भी हाथी से लड़ जाती है, 
लगता है यह बात तुमको समज ना आई।

कायरों का कोई अपना देश नहीं होता 
लाखों की तादाद में थे तुम ,,
क्या खुद की कायरता पर अफसोस नहीं होता। 

मे सिवाय संवेदना के कुछ ओर प्रकट नहीं कर सकता,,
जो कभी हुए ना अपनों के 
ना अपनी मिट्टी के 
उन्हें हम अपने साथ हंसी खुशी से नहीं रख सकते।

©JitendraSHARMA (सोज़)

White कायरों का अपना कोई देश नहीं होता छुट चुकी मिट्टी अब बिलबिलाने से क्या होता छूट रही थी जमी जब तुम्हारी, खामोश तुम खड़े थे, उठाई ना लाठी किसी ने आखिर कोन कोन लड़े थे ? आज देते हो इतिहास की दुहाई सदियों पुराना तुमने इतिहास ना पड़ा,, चीटी भी हाथी से लड़ जाती है, लगता है यह बात तुमको समज ना आई। कायरों का कोई अपना देश नहीं होता लाखों की तादाद में थे तुम ,, क्या खुद की कायरता पर अफसोस नहीं होता। मे सिवाय संवेदना के कुछ ओर प्रकट नहीं कर सकता,, जो कभी हुए ना अपनों के ना अपनी मिट्टी के उन्हें हम अपने साथ हंसी खुशी से नहीं रख सकते। ©JitendraSHARMA (सोज़)

#eid_mubarak

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