कुछ बादल..
कुछ बरसात से हो तुम !
सर्दी में बिखरती हुई..
धूप का स्पर्श लिए..
सौगात से हो तुम !
अंधेरी रात में छटकती..
चांदनी के श्रृंगार मे हो तुम !
मधुबन में मुस्कुराती..
कुसुम बहार से हो तुम !
अधरों पर मौन..
नैनों की नमी मे हो तुम!
मैं रूठूँ तुम मनाओ
प्रतीक्षा में हो तुम!
मेरी कविता मे अंकित..
हर अक्षर मे हो तुम !
मेरी प्रीत बहाव...
प्रेम आधार हो तुम !
शब्द संकुचित...
विस्तार हो तुम!
©deepti
#प्रेम
कुछ बादल..
कुछ बरसात से हो तुम !
सर्दी में बिखरती हुई..
धूप का स्पर्श लिए..
सौगात से हो तुम !
अंधेरी रात में छटकती..
चांदनी के श्रृंगार मे हो तुम !