नदी जब भी रास्ता बनती है
सबसे पहले खोती है रफ्तार
फिर खो देती है वो अपनी धारा
फिर वो स्नेहिल स्वभाव भी
जिसे कहते है हम सब नमी
बस यूं नमी का खोना ही
बना देता है नदी को रास्ता
और खो देती है इस तरह से
नदी स्वयं का अस्तित्व भी
बन जाती है एक रास्ता
वैसे ही जैसे तुमको खोकर
हो गया हूँ मैं भी एक रास्ता
मतलब नमी को खो देना
नदी का रास्ता होना है
प्रेम का खोना इंसान का
वैसे नदी का रास्ता होना
नदी के साथ प्रकृति द्वारा
हुई सबसे बड़ी क्रूरता है
और मानव का रास्ता होना
इस अंधे समाज की
औऱ मैंने यूँ जाना भी है
रास्ता होना अथाह पीड़ा दायक है
©❤️sukoon❤️
रास्ता होना अथाह पीड़ा दायक है