"White तेरी अंजुमन मे
फिर आने को जी कर रहा है..
बरसो रहा हूँ तुझ से दूर..
तेरे अधर से मय पिने को जी कर रहा है..
कब तलक रखु आखिर मे खुद पर काबू...
सागर है सुराही है
फिर लड़-खड़ाने को जी कर रहा है..
थामे ना कोई बहकते इन कदमो को.
साकि से मिलने को जी कर रहा है
©JitendraSHARMA (सोज़)"