बर्ग-ए-गुल पर लफ्ज़ लिखे हमने ख्वाबों के, हर खुशब | हिंदी कविता

"बर्ग-ए-गुल पर लफ्ज़ लिखे हमने ख्वाबों के, हर खुशबू में गुम थे किस्से गुलाबों के। ©Balwant Mehta"

 बर्ग-ए-गुल पर लफ्ज़ लिखे 
हमने ख्वाबों के,
हर खुशबू में गुम थे 
किस्से गुलाबों के।

©Balwant Mehta

बर्ग-ए-गुल पर लफ्ज़ लिखे हमने ख्वाबों के, हर खुशबू में गुम थे किस्से गुलाबों के। ©Balwant Mehta

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