आज-कल क्यूँ अकेले में मैं हसता रेहता | पागल नहीं हूँ फिर भी उसका पागलपण दिलंपर छाया रेहता || जो बात मन में हैं मैं उसे किसीको ना केहता | पर हर बात मैं आज-कल.
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