आज-कल क्यूँ अकेले में
मैं हसता रेहता |
पागल नहीं हूँ फिर भी
उसका पागलपण दिलंपर छाया रेहता ||
जो बात मन में हैं मैं उसे
किसीको ना केहता |
पर हर बात मैं आज-कल
उस हसीनाको बता देता ||
आशिको में मेंने आपणा
नांम लिखवा दिया |
इश्क इजहार उसके
पास कर दिया ||
अब बन गया हूँ कैदी
मैं उस दिलंका |
पता नहीं लगरहा हैं
खुदको खुदकां ||
आजसे पेहले मैं
अजाद पंछी था |
नशा दिलंपर सिर्फ
अवारगिका था ||
केसा नशा नया
चढगया मोहब्बतकां यें...|
हिस्सा बन गया तेरा दिलं
मेरी जंदगीकां यें...||
शादी मनानी हैं तुझसे मुझको
तेरे पापाको मनाकर तुझे लेजाऊंगा |
लेला-मजनूसे भी " सुपर हिट "
अपनी " लव्ह स्टोरी " बनाकर दिखाऊंगा ||
ऐसी जोडीया बडी
नसीबोसे बनती हैं |
दुनिया भी इसको
सलाम ठोकती हैं ||
©Suyog Kulkarni