आप अयादत को आये हो।
यकीनन हाल-ए-दिल जानने आये हो।
बिलशुभा ये ज़ख़्म दिए तुमने,
अब क्या मरहम लगाने आये हो।
नींद से तो बेदार कर दिया तुमने,
अब क्या साँसे छीनने आये हो।
आप अयादत को आये हो।
यकीनन हाल-ए-दिल जानने आये हो।
बिलशुभा ये ज़ख़्म दिए तुमने,
अब क्या मरहम लगाने आये हो।
नींद से तो बेदार कर दिया तुमने,
अब क्या साँसे छीनने आये हो।
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वो तल्ख़ लहज़े में मज़दूरों से बात करता हैं
यानी अपने बाग़ी होने का ऐलान करता हैं,
पहले घूमना शहर-शहर फिर गांव-गांव
फिर बताना कोन हैं जो ज़्यादा इकराम करता हैं।
"syed ammar naqvi"
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