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#अफसाना_ए_इश्क़ #नोजोटोहिंदी #हिंदीशायरी #नोजोशायरी #नोजोटो #शायरी  अफ़साना अफ़साना-ए-इशक कैसे बयां करूं 
तुम्हारे नाम से मोहब्बत की है
तुम्हारे एहसास से मोहब्बत की है
तुम्हारी हर बात से मोहब्बत की है
तुम मेरे पास नहीं हो फिर भी 
तुम्हारी हर इक याद से मोहब्बत की है

©Pushpa Rai...

अफ़साना हर रोज़ तुम्हें निकालता हूँ एक लोटा भर अपने जेहन से, हर रोज़ एक दरिया मुझपे हँसता है...!! 😞 ©Sarfaraj idrishi

#शायरी #Sarfarajidrishi #sela_bijnor #idrishi_boy #Afsana  अफ़साना हर रोज़ तुम्हें निकालता हूँ

एक लोटा भर 
अपने जेहन से,

हर रोज़ एक दरिया मुझपे हँसता है...!!
😞

©Sarfaraj idrishi

अफ़साना अगर हमें खुद में कोई बदलाव लाना हो तो हम उस बदलाव को हर पल याद रखने की कोशिश करते है लेकिन आखिर में होता यह है कि उन नाजुक मौकों पर हम उस बदलाव को भूल जाते है। यही वजह है परिस्थितियां जस की तस बनी रहती है। लेकिन अगर हम उस बदलाव को आत्मसात् कर ले, उसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लें तो ना तो उसे याद रखने की जरूरत पड़ती है और ना ही कभी उसे भूल सकते हैं। क्योंकि अब वह बदलाव हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा है। हमारे साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम खुद में किसी भी बदलाव के लिए अपनी याददाश्त पर निर्भर होते है ना कि उसे आत्मसात् करने की अपनी आदत पर। दरअसल हम आगे तो बढ़ना चाहते है, पर साथ मे पीछे भी रहना चाहते है। औऱ इस आगे-पिछे के चक्कर मे उलझकर सुकून से कही नही रह पाते है। हम किसी बदलाव को आत्मसात् तभी कर सकते है जब हम उस बदलाव को स्वीकार कर ले, और उस बदलाव को अपना पूरा समर्थन दे दे। इसीलिए कहते है कि कुछ जान लेना, कुछ पा लेना अलग बात है, लेकिन उसे अपना बना लेना, आत्मसात् कर लेना बिल्कुल अलग बात। ©Prince Brijesh

#ज़िन्दगी #Afsana  अफ़साना अगर हमें खुद में कोई बदलाव लाना हो तो हम उस बदलाव को हर पल याद रखने की कोशिश करते है लेकिन आखिर में होता यह है कि उन नाजुक मौकों पर हम उस बदलाव को भूल जाते है। यही वजह है परिस्थितियां जस की तस बनी रहती है।
लेकिन अगर हम उस बदलाव को आत्मसात् कर ले, उसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लें तो ना तो उसे याद रखने की जरूरत पड़ती है और ना ही कभी उसे भूल सकते हैं। क्योंकि अब वह बदलाव हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा है।
हमारे साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम खुद में किसी भी बदलाव के लिए अपनी याददाश्त पर निर्भर होते है ना कि उसे आत्मसात् करने की अपनी आदत पर। दरअसल हम आगे तो बढ़ना चाहते है, पर साथ मे पीछे भी रहना चाहते है। औऱ इस आगे-पिछे के चक्कर मे उलझकर सुकून से कही नही रह पाते है। हम किसी बदलाव को आत्मसात् तभी कर सकते है जब हम उस बदलाव को स्वीकार कर ले, और उस बदलाव को अपना पूरा समर्थन दे दे। इसीलिए कहते है कि कुछ जान लेना, कुछ पा लेना अलग बात है, लेकिन उसे अपना बना लेना, आत्मसात् कर लेना बिल्कुल अलग बात।

©Prince Brijesh

#Afsana

8 Love

अफ़साना क्या बेच कर हम खरीदे फुर्सत ए जिंदगी को, सब कुछ तो बेच आए हैं मोहब्बत के बाजार में..!! ©Npr

#nojotohindi #Tanhai #Afsana #Nafrat #Dard  अफ़साना क्या बेच कर हम खरीदे
फुर्सत ए जिंदगी को,
सब कुछ तो बेच आए हैं
मोहब्बत के बाजार में..!!

©Npr

अफ़साना रह गए कुछ जज़्बात दिल के अश्क बनकर पलकों में बिठा लें क्या न पूछे जाते हैं अब हाल दिल के अखबारों में खबरें छपवा लें क्या ©megha chandel

#Afsana  अफ़साना रह गए कुछ जज़्बात दिल के
अश्क बनकर पलकों में बिठा लें क्या
न पूछे जाते हैं अब हाल दिल के
अखबारों में खबरें छपवा लें क्या

©megha chandel

#Afsana

8 Love

अफ़साना Bahut Se Armaan Le Ke Chala Tha Zindagi Me........... Fir Kuch Ase Waqt Aya ,,,,,,,,,,,,Kuch Armaan Tut Gye Kuch Choot Gye ©Amber

#Afsana  अफ़साना Bahut Se Armaan
Le Ke Chala Tha
Zindagi Me...........
Fir Kuch Ase Waqt
Aya ,,,,,,,,,,,,Kuch
Armaan Tut Gye
Kuch Choot Gye

©Amber

#Afsana

8 Love

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